जयशंकर प्रसाद जी की कृतियां

104 Part

235 times read

0 Liked

घीसू जयशंकर प्रसाद सन्ध्या की कालिमा और निर्जनता में किसी कुएँ पर नगर के बाहर बड़ी प्यारी स्वर-लहरी गूँजने लगती। घीसू को गाने का चसका था, परन्तु जब कोई न सुने। ...

Chapter

×